Monday, January 23, 2012

पहले कभी जब पिताजी डांटते थे तो लगता था कि.....
वो मुझे प्यार नहीं करते....
अब वो नहीं डांटते,.... कुछ नहीं कहते,..... बात भी नहीं करते..........
सोचता हूँ.....
तब प्यार नहीं करते थे या.......
अब प्यार नहीं करते........
वो पूछते हैं हमसे ....... क्यों फिरते हो दर बदर .....
क्या तनख्वा में गुजारा नहीं होता.......
हमने बड़े अदब से कहा..........
हो जाता हे गुजारा लेकिन..........
बस गुजारा ही होता हे..........

Monday, December 19, 2011

न जाने कितनो से परिचय हुआ
न जाने किस किस से मुलाकात हुई
बहुत से लोग मिले इस दरम्यान हमसे
बस मुझसे मेरी ही न बात हुई...

Wednesday, December 7, 2011

शुभारम्भ

ॐ से शुरू करके ॐ तक जाते हैं
ॐ को अपना बना के ॐ हो जाते हैं
ॐ को पा लेते हैं ॐ में खो जाते हैं
ॐ में खो के ओंकार हो जाते हैं .....